*( इस बार मानसून ने किसान की फसल पर संकट खड़ा कर दिया है कम बरसात से संभाग के ताव डेम में पानी पिछली बार की तुलना में बहुत कम भराया हे जिस से गेहू की फसल के लिए तवा का पानी मिलना मुश्किल सा लग रहा है वही आगामी भविष्य में मूंग उत्पात का सपना चूर होते दिख रहा है बारिश की बवेफाई से तवा डेम का पानी खेत में राज करने वाली गेहू की फसल से लिपटकर इस बार सपना नज़र आ रहा है)*
तवा बांध की वर्तमान स्थिति
निर्धारित जल स्तरः1166 फुट वर्तमान जलस्तरः1145.30
भराव का प्रतिशत :44 प्रतिशतअब तक होना थाः80 प्रतिशतकुल कितना खालीः21 फुटतवा में अब तक वर्षाः434 मिमी (लगभग)
पिछले वर्ष हुई थीः1200 मिमी (लगभग)
तवा की औसत वर्षाः1500 मिमी (लगभग)
हरदा सहित होशंगाबाद-बैतूल जिले में पर्याप्त बारिश नही हुई। तवा डेम में पानी का स्तर होशंगाबाद और बैतूल जिले में हुई बारिश पर निर्भर करता है। लेकिन पर्याप्त बारिश नही होने से तवा डेम भरा नहीं पाया है। डेम का मौजूदा जलस्तर 1145.30 फीट है। इस विकट स्थिति को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने होशंगाबाद जिला प्रशासन को अलर्ट जारी करते हुए रिपोर्ट सौंप दी है कि यही स्थिति रही तो वे होशंगाबाद और हरदा जिले में अधिक मात्रा में होने वाले गेहूं की फसल के लिए पानी नहीं दे पाएंगे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी तवा डेम आधा ही भराया है और शासन की पहली प्राथमिकता पेयजल व्यवस्था को सुचारू रखना है और इसके बाद सिंचाई व्यवस्था आती है।
🔹 *इस बार 4 की जगह 2 पानी ही दिया जा सकता है डेम से बस..*
हरदा में गेहूं को इसलिए दिक्कतदरअसल, रबी की फसल गेहूं के लिए तवा बांध से तीन से चार बार पानी दिया जाता है। इस बार इतना पानी है नहीं। संभवत एक से 2 बार पानी ही तवा से दिया जा सकता है। पानी इटारसी, सिवनीमालवा से होता हुआ ही हरदा आएगा।वही सिवनी से आते आते हरदा जिले की सीमांकन तक फोर्स कम होते जाता है जो हर साल समस्या बने रहती है ।
🔹 *इस प्रकार होता है तवा डेम से पानी का बंटवारा..*
वहीं इस बार यदि गेहूं को पानी नहीं मिला तो यहां उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा। गेहूं के लिए चाहिए 1400 एमसीएम पानी और है मात्र 850रबी सीजन में गेहूं के लिए एलबीसी में 4200 क्यूसेक और आरबीसी में 1 हजार क्यूसेक पानी की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर गेहूं कि फसल के लिए 1400 एमसीएम पानी चाहिए, जबकि वर्तमान में 850 एमसीएम पानी ही है। ऐसे में सिर्फ एक पलेवा के लिए ही पानी दिया जा सकता है। यदि 15 सितंबर तक बारिश हो जाती है और पानी 1 हजार एमसीएम तक पहुंच जाता है तो गेहूं के लिए एक पलेवा और एक पानी मिल सकता है। डेम से पानी वितरण की जो व्यवस्था है उसके अनुसार गेहूं के लिए 1400 एमसीएम, मूंग के लिए 500 एमसीएम और ऑर्डिनेस फैक्ट्री के लिए 12 क्यूसेक पानी आरक्षित रखा जाता है। इसी हिसाब से पानी छोड़ा जाता है।@navduniya
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