नीति आयोग ने पिछड़े जिलो को लिस्ट जारी की पर इन पिछड़े जिले से तात्पर्य ये नही माना जाये की अति पिछड़े हे बस कुछ मापदंडो पर खरे नही उतरे उसमें सुधार सम्भव हे।वो भी आपसी जिले की प्रतियोगिता से।देश के नीति आयोग की जारी लिस्ट में बताया है कि देश के 101 संभावना वाले पिछड़े जिलों में भी हरियाणा का मेवात सबसे पिछड़ा है। इसके बाद तेलंगाना का आसिफाबाद, मध्य प्रदेश का सिंगरौली, नगालैंड का किफिरे और उत्तर प्रदेश का श्रावस्ती पांच सबसे पिछड़े जिलों में शामिल हैं।खास बात तो ये है कि देश के सर्वाधिक पिछड़े 10 जिलों में से चार अकेले उत्तर प्रदेश से हैं। अगर हम मध्यप्रदेश की बात करे तो सिंगरौली जिला पिछड़ेपन की इस लिस्ट में तीसरे स्थान पर आया है। इसके बाद बड़वानी, गुना, विदिशा, खंडवा, छतरपुर, दमोह और राजगढ़ का नंबर आता है। नीति आयोग के मुताबिक इस रैंकिंग का उद्देश्य किसी जिले को नीचा और किसी अन्य को बेहतर बताना नहीं है बल्की विकास की आपसी प्रतिस्पर्द्धा के लिए प्रोत्साहित करना है। शाशन अब आपसी प्रतियोगिता के जरिये जिले में सुधार की मंशा विकसित करना चाहता है ।
🔹 *नीति आयोग की 101 जिले की लिस्ट जारी की ..*
देश के गांवों में कितना विकास हुआ है, इसकी सच्चाई आज नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में पेश की है। नीति आयोग ने देश के सबसे पिछले 101 जिलों की लिस्ट जारी की है, जिसमें हरियाणा का मेवात देश का सबसे पिछड़ा जिला बताया गया है।वही मध्यप्रदेश के आठ जिले लिस्ट में शामिल है। नीति आयोग ने शिक्षा, स्वास्थ्य व पोषण जैसे पांच क्षेत्रों के विकास के 49 मानकों पर देश के 101 पिछड़े जिलों की रैंकिंग की है जिसमें यह तथ्य सामने आया है। जिसमे हरदा जिले मापकों पर खरा उतरा।
🔹 *ये ये कारणों से पीछे ये एम् पी के आठ जिले..*
सिंगरोली- औद्योगिक विकास , बारिश ,खेती ,शिक्षा और स्वास्थ्य
बड़वानी- स्वास्थ्य सेवाएं ,रोजगार के साधनों का अभाव , रेल यातायात
गुना- रोजगार का अभाव , बड़े उद्योग धंधों की कमी
विदिशा- क्षेत्र में शिक्षा . स्वास्थ्य , मेडिकल कॉलेज, कुपोषण
खंडवा- विस्थापन ,स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा,औद्योगिकरण का अभाव
दमोह- रोजगार , अपराधों ,स्वास्थ्य ,शिक्षा
छतरपुर- सूखा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं
राजगढ़-बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा
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