नवदुर्गा में काफी दिन से चल रही समय को लेकर उठापटक में आज कोर्ट ने निणर्य दिया एक जनहित याचिका पर जिसमे रात 10 बजे बाद गरबा पंडालों में ध्वनि विस्तार यंत्र (डीजे) बजेंगे या नहीं। कोर्ट ने यह निर्णय कलेक्टर पर छोड़ दिया है। मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पंडाल संचालक कलेक्टर को इस संबंध में आवेदन दें। वे उसी दिन तय करेंगे कि आवेदन देने वाले पंडाल में रात 10 बजे बाद डीजे बजेगा या नहीं।जनहित याचिका में कहा था कि गरबा राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक आयोजन हैं। परंपरागत तरीके से गरबों में डीजे का इस्तेमाल हो रहा है। जिला प्रशासन ने रात 10 बजे बाद गरबा पंडालों में डीजे का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि कई जगह गरबे रात 10 बजे बाद ही शुरू होते हैं। डीजे प्रतिबंधित करने से गरबे की परंपरा खतरे में पड़ गई है।
🔹 *2 घंटे की शितिलता दे सकते है कलेक्टर...*
याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट पीयूष माथुर, एडवोकेट राघवेंद्रसिंह बैस ने पैरवी की। शुक्रवार को बहस के दौरान उन्होंने तर्क रखा कि मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के नियम 7 और 12 के तहत कलेक्टर और संभागायुक्त को अधिकार है कि वे धार्मिक आयोजनों के मामले में अधिकतम 15 दिनों के लिए डीजे के इस्तेमाल की अवधि में दो घंटे की शिथिलता दे सकते हैं। गरबे धार्मिक आयोजन हैं इसलिए रात 10 के बजाय 12 बजे तक डीजे इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है।
🔹 *तत्काल निणर्य ले ...*
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि गरबा पंडाल संचालक कलेक्टर के समक्ष इस संबंध में आवेदन दें। कलेक्टर कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के प्रावधानों के तहत इन आवेदनों पर तत्काल निर्णय लें।कोर्ट ने कलेक्टर को 24 घंटे में आवेदन पर सुनवाई करते हुए अंतिम फैसला देने को कहा है। हालांकि कोर्ट ने कलेक्टर को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व में दिए फैसले को प्रकाश में रखते हुए फैसला करने को कहा है।
मादिक रुनवाल
शब्द सारांश
हरदा ब्यूरो
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