Friday 16 June 2017

हरदा-अनूठा प्रयोग जिले में,पेड़ को गिरवी रख के लोन देना, फलदार वृक्षो पर 1 हजार ₹ और अन्य पर 500 ₹!

( जिले में कुछ कृषक ऐसे हे जो आधुनिक जमाने की रफ़्तार के साथ चलते हुए कुछ नया करने की सोचते है ऐसा ही कुछ छिदगांव तमोली गाव में प्रयोग के तौर पर देखने को भी मिला वहां छिदगांव तमोली सहकारी समिति ने सोच से परे और पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से प्रकतिक का उपहार कहे जाने वाले जमी पर मौजूद पेड़ पर लोन देने का मन बनाया जो अभी तक बैंकों में अपनी चल अचल संपत्ति रख कर  कर्ज़ा लेते थे अब वो फलदार पेड़ पर कृषक क़र्ज़ ले सकता है सहकारी समिति से हालांकि लोन की दी जाने वाली वर्तमान में राशि सिमित हे पर प्रयोगिक तोर पर किया गया ये आईडिया कही न कही भविष्य की सोच को भी दर्शाता है जो पर्यावरण के लिहाज से जरुरी भी हे साथ ही आर्थिक स्थिति में किसान की मदत का सहारा )

मध्य प्रदेश के हरदा जिले के ग्राम छिदगांव तमोली में पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक अनोखी पहल हुई है. गांव की सहकारी समिति ने किसानों को पेड़ों को गिरवी रख लोन देने की योजना शुरू की है.

🔹 *एक फलदार पेड़ पर 1 हजार ₹ आसानी से ले सकेंगे ...*

योजना में फलदार वृक्षों पर एक हजार और अन्य वृक्षों पर पांच सौ रुपए कर्ज दिया जा रहा है. वृक्ष धर नाम की इस योजना में आम, बबूल, सागौन, महुआ, नीबू जैसे पेड़ों पर किसानों को लोन दिया गया है. छिदगांव तमोली की पहचान जिले के डिजिटल गांव के रूप में है. यह गांव अब पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी अपनी पहचान बना रहा है. छिदगांव तमोली सहकारी समिति ने गांव में लगातार काट रहे फलदार वृक्षों को बचाने के लिए तीन साल पहले यह योजना बनाई थी.
लोन लेने के बाद भी किसान का वृक्ष के फलों पर अधिकार रहता है. गांव के किसान अपने वृक्षों को गिरवी रखकर लोन ले रहे हैं. गांव में वृक्षों पर लोन लेने वाले एक किसान ने बताया कि उनके पास आम के 20 पेड़ हैं और उन्होंने पेड़ गिरवी रखकर लोन लिया था और फल बेचकर चुका दिया छिदगांव समिति के अध्यक्ष अशोक गुर्जर ने बताया कि पेड़ पर जो लोन दिया जाता है वह आधा नगद और आधा वस्तु लोन होता है. किसान को जरूरत के मुताबिक खाद-बीज देकर और शेष का नकद दिया जाता है. इस योजना से गांव में वृक्षों का कटना कम हुआ है. इसका उद्देश्य किसान की आमदनी बढ़ाना और पर्यावरण बचाना है.

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