Monday 31 July 2017

मोबाइल के चलते आंखे कम झपक रही है 15 की जगह 10 बार,ड्राई आई सिंड्रोम के लक्षण!

( आधुनिक जमाने और इंटरनेट की लत के चलते हाथ में सोहलियत से हर समय हमारे पास रहने वाले मोबाइल के बढ़ते उपयोग से हम दुनिया को रंगीन देखने वाली दो आँखे हर मिनिट में 15 की जगह अब 10 बार झपक रही है जिस से आँखों को नुकसान हे वही शोध के मुताबिक आँखों का झपकना कंप्यूटर के रिफ्रेश की बटन की तरह भी काम करता है जी से मस्तिक तरो ताज़ा रहता है पर हम आदतों के चलते आँखे अब कम झपका रहे हे जो आँखों के लिए ठीक नही माना जा रहा हैं, आपको एक सलाह आँखों के लिए जब आप मोबाइल या कंप्यूटर पर ज्यादा एक्टिव रहे तो ठंडे पानी की फुहार से आँखों को धो लें जिस से आँखे ताज़गी बनी रहेगे )

मोबाइल का ज्यादा समय तक इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर कंप्यूटर में काम कर रहे हैं तो बीच-बीच में ठंडे पाने से आंख धो लें। साथ ही कुछ देर के लिए कंप्यूटर मोबाइल से नजर हटा लें। वजह, स्क्रीन की तरफ लगातार देखने आपकी पलकों का प्राकृतिक तरीके से झपकना बंद हो गया है। आमतौर पर एक मिनट में पलकें 15-16 बार झपकती हैं, लेकिन कंप्यूटर व मोबाइल पर पलकें झपकना भूल जाती हैं। इस वजह से आंख का पानी सूख रहा है। कंप्यूटर पर काम करने की वजह से ज्यादातर लोगों को ड्राई आई सिंड्रोम हो रहा है। इस बीमारी की एक वजह एसी भी हैं।यह कहना है इंदौर के आई स्पेशलिस्ट डॉ.राजीव चौधरी का। वे यहां भोपाल डिवीजनल आप्थैलमिक सोसायटी की ओर से आयोजित एक कांफ्रेंस में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चे पहले मैदान में खेलते थे। दूर तक देखते थे, इसलिए उनकी नजर अच्छी थी। दूर की चीजें भी अच्छे से देख लेते थे, लेकिन अब इनडोर गेम का चलन है। इस वजह से उनकी नजर कमजोर हो रही है।चश्मे का नंबर बढ़ रहा है। इसके अलावा विटामिन डी व विटामिन ए की कमी के चलते भी बच्चों की नजर कमजोर होने के केस बढ़ रहे हैं। ड्राई आई सिंड्रोम के प्रभावी लक्षण आंखो में जलन,चुभन,खुजली,आंसू न आना ,दर्द माना गया है ।

🔹 *पलक झपकना इंसान के मस्तिक के लिए कंप्यूटर के रिफ्रेश की तरह होता है..*

पलकें झपकाने को एक सामान्‍य शारीरिक क्रिया ही माना जाता है। जानकार मानते आए हैं कि आंखों की तरलता बनाए रखने के लिए पलकों का झपकना जरूरी है। लेकिन, जापानी शोधकर्ताओं ने पलकें झपकाने का एक और फायदा पता लगाया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक पलकें झपकाने से दिमाग को भी तरोताजा रहने में मदद मिलती है। इस मौके का फायदा उठाकर आपका दिमाग जरा सी देर के लिए ही सही आराम कर लेता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अपनी जागृत अवस्‍था के दस फीसदी समय में हमारी आंखें मूंदी रहती हैं। पलक झपकने के चलते ही ऐसा होता है। दिमाग इस बेहद छोटे लम्‍हे में खुद को तरोताजा कर लेता है। 

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