Friday 7 July 2017

हरदा - 7-7-7 का वो बारिश के तेवर और "हरदा बना टापू" के आज 10 वर्ष पूर्ण !

आज ही के दिन 7 जुलाई 2007 में हरदा के इतिहास में लिखा हुआ वो दिन जहा मानसून के मौसम में बरसात के तेवर ने कुछ ऐसा मंजर ला दिया जहा प्रकतिक के आगे सब बोने साबित हुए जहा हरदा जिले से अनेको गावो से सिर्फ जलमग्न की खबरो ने सबको चिंतित कर दिया था और राष्ट्रीय स्तर के मीडिया में ब्रेकिंग के रूप में "हरदा बना टापू" जलमग्न था चारो और से और अन्य जिलों से संपर्क तक टूट गया था कुछ ऐसा द्श्य था जहा उस समय जिस जिस ने जिया या देखा पल किसी विपत्ति से कम नही था जहाँ पहाड़ी इलाको से रिसते हुए नदी में जंल का स्तर बढ़ने के साथ आसमानी आफत ने आग में घी डालकर उसको और उफान पर ला दिया जिस से शहर के निचली बस्तियों नदी नालों में लबालब पानी भर गया था लोग त्राहिम त्राहिम मचा रहे थे किसीं के घर का समान बहता हुआ दिख रहा था तो कोई अपनी जान बचाने में उलझा था तो प्रसासनिक अमला पूरी मुस्तेदी से सेंसेटिव एरिया को खाली करवाने में लगा था तो कही शहर में नाव तक चला दी गई बीच बाज़र में लोगो को बचाने में सब घर पर रहकर पल पल की सूचना का आदान प्रदान करे जा रहे थे और हर एक पल की घटना जानने की लालसा थी तो किसी को अपने चहेते की सकुशल होने की धक धक तो कही रेस्क्यू आपरेशन जहा किसी की डूबने से जान बचाई जा रही थी आज के दिन कुछ ऐसे अनछुए पल हे जिसके आज 10 वर्ष पूर्ण हो गए है जहा शहर में वो जन समुदाय और लोगो की सेवा भाव न होता तो न जाने कितनो की लीलाए समाप्त हो जाती अगर वो ऐसे मौके पर मानवीय परिचय न देते तो हरदा के ऐसे नागरिकों को इस 7-7-7 के लिए समपर्ण भाव से उस विनाश से बहार लाने वालो को नमन ही कहा जा सकता है !जिले के सभी लोगो ने अपने अपने इलाके में जो दिलेरी दिखाई और लोगो की जान बचाई उनके लिए ये स्मरण जीवंत पर्यंत हे जहा उन्होंने निचली बस्ती वालो को सराकरी स्कूलों सामुदायिक भवनों में जहा जैसी व्यवस्था हुई वैसा रातों रातों मुहैया करवाई कुछ ऐसे हे हदय नगर कहे जाने वाले हरदा के लोग जिन्होंने आज के दिन 10 वर्ष पूर्व प्रकतिक के प्रकोप को भी मानवता के साथ ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार किया।

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