*(अबतक राजनितिक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहते थे की राजीव गांधी के समय केंद्रीय से 1 ₹ भेजते ते तो 15 पैसे जनता तक पहुचता था और अब केंद्रीय से सांसद निधि की राशि भेज रहे हे तो बीजेपी सांसदों से खर्च करने में रूचि नही दिखाई जा रही है जिस से विकास पिछडा रहा है )*
🔹 *सांसद ज्योति धुर्वे ने सांसद निधि खर्च करने में दिखाई कंजूसी, पड़े हैं 3.79 करोड़ जो जन कल्याण के लिए खर्च होने होते है!*
🔹 *प्रदेश में दूसरी ऐसी सांसद जो अपनी सांसद निधि खर्च करने में रही पीछे!*
🔹 *सांसद निधि के हर साल मिलते है 5 करोड़ ₹ बैतूल हरदा हरसूद जिले और इनकी 8 विधानसभा में खर्च के लिए*
🔹 *पिछले साल की बची राशि अगर 3 करोड़ से ज्यादा हे तो अगली सांसद निधि क़िस्त जारी नही होगी जिसमे इस बार 3 करोड़ 79 लाख बचे होने से अब मुश्किल है !*
वैसे तो प्रधानमंत्री अपने सदन के हर सांसद को अपने अपने क्षेत्र में विकास कार्यो को करवाने के लिए केंद्रीय से राशि बढ़ाकर भेज रहे हे पर उनके काबिल सांसद फिस्सडी साबित हो रहे हे। सांसद ज्योति धुर्वे की सक्रियता को लेकर तो सवाल उठते ही रहते हैं लेकिन इस बार निधि भी पूरी खर्च नहीं कर पाने को लेकर वे चर्चा में हैं। चार सालों में उन्हें मिले 10 करोड़ रुपए में से वे अब तक केवल 6.21 करोड़ रुपए ही खर्च कर पाई हैं जबकि 3.79 करोड़ रुपए अभी भी फिजूल में पड़े हैं। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है। इस मामले में वे प्रदेश में दूसरे स्थान पर हैं।इसका मतलब सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में उदासीन रवैया अपना रहे हे ।
सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास और जरुरतमंदों की मदद के लिए हर साल 5 करोड़ रुपए की राशि मिलती है। बैतूल-हरदा-हरसूद संसदीय क्षेत्र में तीन जिले और 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इन क्षेत्रों में आज पेयजल संकट सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने दिखाई दे रहा है, वहीं शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई और सड़क जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकता के मामले में भी क्षेत्र समस्याओं से भरा पड़ा है। इसके बावजूद सांसद ज्योति धुर्वे 4 साल में सांसद निधि से शासन से जारी हुई 10 करोड़ रुपए की सांसद निधि में से 6 करोड़ 21 लाख रुपए ही खर्च कर पाई हैं। उनकी सांसद निधि की राशि में से आज भी 3 करोड़ 79 लाख रुपए की राशि जिला प्रशासन के खातों में पड़ी है। बैतूल सांसद की यह स्थिति भोपाल सांसद आलोक संजर के बाद दूसरे नंबर पर है। उन्होंने भी अपनी सांसद निधि में से 4 करोड़ 58 लाख रुपए खर्च नहीं किए हैं। सांसद निधि आवंटन किए जाने की एक शर्त यह है कि यदि पिछले साल की बची हुई राशि 3 करोड़ से अधिक है तो अगली किश्त जारी नहीं होगी। ऐसे में सांसद श्रीमती धुर्वे की सांसद निधि के 3 करोड़ 79 लाख की राशि बची होने से उन्हें सांसद निधि की अगली किश्त जारी नहीं होगी। सांसद श्रीमती धुर्वे से इस संबंध में उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
🔹 *पहली किश्त जारी करने की नियम व् शर्तें..*
पिछले वर्ष की सांसद निधि की दूसरी किश्त जारी हो चुकी हो, जिसका अंतरिम उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश किया जाना होता है। इसमें पहली किश्त का 80 प्रतिशत खर्च होना अनिवार्य है और पिछले साल की तीन करोड़ से ज्यादा राशि बची है तो अगली किश्त जारी नहीं होगी।
🔹 *ये नियम व् शर्ते दूसरी किश्त जारी करने..*
कलेक्टर के खाते में उपलब्ध अस्वीकृत राशि एक करोड़ रुपए से कम होनी चाहिए। बिना खर्च की गई राशि ढाई करोड़ रुपए से कम हो तथा पिछले वित्त वर्ष में जारी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र और पिछले से पूर्व में वित्त वर्ष के जारी राशि के खर्च की आडिट रिपोर्ट मिलने के बाद।
🔹 *इन इन मदो में खर्च हो सकती सांसद निधि..*
इस योजना के तहत सांसद को यह अधिकार होता है कि वे अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप ऐसे कार्यों की सिफारिश कर सकें जिनमें स्थाई सामुदायिक परिसम्पत्ति निर्मित हो सके। इसके तहत पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई और सड़क जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के कार्यों के लिए सांसद सिफारिश कर सकते हैं।
No comments:
Post a Comment