गायों के बचाव को लेकर गोशाला के रूप में लगातार चलाया जा रहा अभियान एक बार फिर चर्चा में आ गया है। जिसके चलते कई प्रश्न उठने शुरू हो गए हैं।
एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे देखकर जानकारों का मानना है कि खुद भाजपा शासन में भी राजधानी में गायें सुरक्षित नहीं हैं।
दरअसल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के कटारा हिल्स थाना इलाके के ग्राम बगरौदा में एक कर्मचारी नेता सुरेन्द्र कौरव की गौ-शाला पर शिकायतों के चलते पुलिस ने गुरुवार शाम को छापा मारा। इस दौरान यहां काफी हैरत करने वाली आपत्तिजनक चीजें सामने आईं। जिसके बाद मामला गर्मा गया है।
ये मिला छापे में...
पुलिस का कहना है कि छापे में यहां भारी मात्रा में गाय की हड्डी-मांस जब्त किया गया। पुलिस को आशंका है कि यहां से मांस की तस्करी की जाती है, इसके बाद अब पुलिस जांच में जुट गई है।
पुलिस का कहना है कि छापे में यहां भारी मात्रा में गाय की हड्डी-मांस जब्त किया गया। पुलिस को आशंका है कि यहां से मांस की तस्करी की जाती है, इसके बाद अब पुलिस जांच में जुट गई है।
पहले भी उठ चुके हैं प्रश्न:
इससे पहले भी भाजपा के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर सरकार पर गायों को लेकर हमला कर चुके हैं। पूर्व में उन्होंने कहा था कि प्रदेश में गौशाला अनुदान को लेकर कोई स्पष्ट नीति ही नहीं है। अव्वल तो यही कि गौशाला अनुदान काफी कम है।
इससे पहले भी भाजपा के पूर्व सीएम बाबूलाल गौर सरकार पर गायों को लेकर हमला कर चुके हैं। पूर्व में उन्होंने कहा था कि प्रदेश में गौशाला अनुदान को लेकर कोई स्पष्ट नीति ही नहीं है। अव्वल तो यही कि गौशाला अनुदान काफी कम है।
दरअसल पूरे देश में इन दिनों गौ रक्षा और गौ सेवा की मुहिम चल रही है। दर्जनों संगठन गौ सेवा के नाम पर देश में हिंसा तक फैला रहे हैं। ऐसे में शिवराज सरकार गायों के लिए क्या कर रही है यह जानकार आप हैरान रह जाएंगे।
सार्वाधिक हिंन्दू परिवार मप्र में होने के बावजूद भी यहां गायों की सेवा और खाने पर 2 रुपए तक खर्च नहीं किए जाते हैं। जानिए क्या है मप्र में गायों की स्थिति...
ये उठाया था सवाल:
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने गौशाला अनुदान का मुद्दा उठाकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। बाबूलाल गौर के मुताबिक प्रदेश में गौशाला अनुदान को लेकर कोई स्पष्ट नीति ही नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने गौशाला अनुदान का मुद्दा उठाकर सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। बाबूलाल गौर के मुताबिक प्रदेश में गौशाला अनुदान को लेकर कोई स्पष्ट नीति ही नहीं है।
पहली समस्या यह है कि गौशाला अनुदान काफी कम है और उससे कहीं ज्यादा ये कि गौशाला अनुदान हर जिले में अलग-अलग है। बाबूलाल गौर ने सरकार से गौशाला अनुदान बढ़ाए जाने और इसमें एकरूपता लाने की मांग सरकार से की है।
यह है स्थिति
- 2013-14 में सालाना 608 रुपए अऩुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 66 पैसे
-2014-15 में सालाना 635 रुपए अऩुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 73 पैसे
-2015-16 में सालाना 591 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 61 पैसे
-2016-17 में सालाना 577 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 58 पैसे
-2017-18 में सालाना 679 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 86 पैसे
-2016-17 में सालाना 577 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 58 पैसे
-2017-18 में सालाना 679 रुपए अनुदान दिया गया, प्रतिदिन के हिसाब से महज 1 रुपए 86 पैसे
सोना देने वाली गाय कुपोषण का शिकार
मूत्र में सोना देने वाली गिर नस्ल की गायों की संख्या देश और दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदेश के श्योपुर में है। यह बात पशु गणना में भी सामने आ चुकी है और गुजरात गौ पालन आयोग भी मानता है।
मूत्र में सोना देने वाली गिर नस्ल की गायों की संख्या देश और दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदेश के श्योपुर में है। यह बात पशु गणना में भी सामने आ चुकी है और गुजरात गौ पालन आयोग भी मानता है।
कुपोषण का शिकार गाय
पूरे भारत में गायों की कुल 39 नस्लें हैं। इनमें से सबसे अच्छी नस्ल गिर गाय की मानी गई है। कराहल ब्लॉक के गोरस, कलमी, पिपरानी, चितारा, डोब, सोला, कोटा , झरेर, डावली, खाडी, सिमरोनिया, खूंटका, बुढ़ेरा, पातलगढ़ सहित 16 गांवों में गिर नस्ल की 1 लाख 49 हजार से ज्यादा गाय हैं।
पूरे भारत में गायों की कुल 39 नस्लें हैं। इनमें से सबसे अच्छी नस्ल गिर गाय की मानी गई है। कराहल ब्लॉक के गोरस, कलमी, पिपरानी, चितारा, डोब, सोला, कोटा , झरेर, डावली, खाडी, सिमरोनिया, खूंटका, बुढ़ेरा, पातलगढ़ सहित 16 गांवों में गिर नस्ल की 1 लाख 49 हजार से ज्यादा गाय हैं।
जो सिर्फ नाम की गिर गाय रह गई हैं। न तो यह गाय असली गिर नस्ल के बराबर दूध दे पा रही हैं। नहीं उतनी हष्ट-पुष्ट हैं। मप्र में गाय तेजी से कुपोषण का शिकार हो रही हैं।
फाइलों में ब्रीडिंग हाउस
साल 2015 में पहले पशुपालन मंत्रालय ने श्योपुर में गिर ब्रीडिंग फॉर्म हाउस खोलने का प्रस्ताव पास किया। इसके आदेश भी श्योपुर भेजे गए। इसके बाद फार्म हाउस के लिए श्योपुर कलेक्टर ने 213 बीघा जमीन कराहल में आवंटित कर दी। यहां गिर नस्ल के नंदी लाकर, गायों की मेटिंग कराना और उनकी देख-रेख कर गिर नस्ल को बढ़ाने का काम होता, लेकिन यह पूरी योजना फिलहाल तो फाइलों में ही दबी है। यदि स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों की भी है।
क्रॉस मेटिंग के कारण बदली गई नस्लअटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन मंत्री रह चुके और वर्तमान में गुजरात गौपालन आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया इसी साल फरवरी महीने में श्योपुर आए थे और गायों की हालत पर सर्वे भी किया था।
कथीरिया ने भी माना कि क्षेत्रफल घनत्व के मान से जितनी गिर नस्ल की गाय श्योपुर-कराहल में हैं उतनी गुजरात या दुनिया में कहीं नही। उन्होंने बताया कि श्योपुर में पाई जाने वाली गायें यह सिर्फ नाम की गिर गाय रह गई हैं। गिर नस्ल के नंदी (सांड) नहीं हैं। ऐसे में गिर गायों की मेटिंग साधारण देसी बैल या सांड से कराई जाती है। इसी कारण गिर गाय की नस्ल बदल गई है।
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