*( डी.ए.पी. उर्वरक का 1400 रू प्रति बैग (50 किलोग्राम) जो कि, बैग पर अंकित है, इसी प्रकार यूरिया के बैग का 266.50 रू प्रति बैग (45 किलोग्राम) अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित है। यदि यूरिया का 50 किलोग्राम का बैग विक्रय हेतु उपलब्ध है, तो उसका अधिकतम खुदरा मूल्य 295 रू. है अगर इस से ज्यादा कोई लेता है मूल्य तो आप शिकायत कर सकते है )*
आज रबी वर्ष 2017-18 में जिले में उर्वरक व्यवस्था बनाये रखने हेतु प्रशासन की ओर निरंतर प्रयास किये जा रहे है। वर्तमान में जिले में निजी क्षेत्र के विक्रेताओं के यहाँ 3000 मेट्रिक टन डी.ए.पी उपलब्ध है एवं 2500 मेट्रिक टन कंपनी एकाउण्ट में भण्डारित है। उपसंचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास हरदा ने बताया कि इसी प्रकार जिला विपणन अधिकारी के गोडाउन में 4500 मेट्रिक टन डी.ए.पी. उपलब्ध है एवं इसका वितरण हरदा, टिमरनी एवं खिरकिया के डबल लाॅक केन्द्रों से किया जा रहा है। 1500 टन डी.ए.पी. खण्डवा से हरदा जिले में आ रहा है। इसी प्रकार निजी क्षेत्र के विक्रेताओं के यहाँ खण्डवा एंव इटारसी रेक पांईट से डी.ए.पी. उर्वरक की आवक निरंतर जारी है। जिले में डी.ए.पी. उर्वरक की उपलब्धता पर्याप्त है। जिले में निजी क्षेत्र के विक्रेताओं के पास 520 मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है, वहीं जिला विपणन अधिकारी के गोडाउन में 2000 मेट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है। आने वाले एक-दो कार्य दिवस में जिले में 2600 मेट्रिक टन की यूरिया की रेक आना प्रस्तावित है। इसके पश्चात् दो यूरिया की रेक प्लान में है, जो की आगामी सप्ताह में आना संभावित है। कृभको के एरिया मैनेजर से हुई चर्चा अनुसार कृभको की भी दो यूरिया की रेक हरदा जिले के लिए प्लान में है। जिले में उर्वरक की उपलब्धता निरंतर बनी रहे, इस हेतु सार्थक प्रयास किये जा रहे है। कृषक बन्धु उर्वरक व्यवस्था के संबंध में कतिपय लोगों द्वारा फैलाई जा रही, भ्रामक जानकारी से सावधान रहें। डी.ए.पी. उर्वरक का 1400 रू प्रति बैग (50 किलोग्राम) जो कि, बैग पर अंकित है, इसी प्रकार यूरिया के बैग का 266.50 रू प्रति बैग (45 किलोग्राम) अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित है। यदि यूरिया का 50 किलोग्राम का बैग विक्रय हेतु उपलब्ध है, तो उसका अधिकतम खुदरा मूल्य 295 रू. है। उन्होने अनुरोध किया है कि कृषक बन्धु उर्वरक की बोरी पर अधिकतम खुदरा मूल्य से ज्यादा भुगतान नहीं करें,पक्का बिल भी लें। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर विकासखण्ड स्थित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, कार्यालय अथवा जिला कार्यालय में संपर्क कर सकते है। वर्तमान में तापक्रम गेहूँ की बोनी के लिये अनुकूल नही है। उन्होने कृषकों को सुझाव दिया है कि गेहूँ की बोनी हेतु जिस तापक्रम पर खोपरे का तेल जमने लगे, तभी बोनी का अनुकूल तापक्रम एंव समय रहेगा।
मादिक रुनवाल
शब्द सारांश
हरदा ब्यूरो
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