Tuesday 13 June 2017

अगर लागू हो जाएं ये सिफारिशें तो देश में हर किसान पैसे वाला और 4 व्हीलर मेंटेन कर सकता है!


( जी हा आपने सही सुना अगर  हाल ही के जिस किसान आंदोलन में स्वामीनाथन रिपोर्ट का भरसक जिक्र किया जा रहा था कि इसे लागू कर दिया जाए किसान हित में अगर इसे सरकार लागू कर दे तो देश का हर किसान शायद चार पहिया वाहन में घूमने लायक हो जायेगा क्यों की आयोग की रिपोर्ट  किसानों की आर्थिक संसाधन,सामाजिक स्तर और प्रकतिक दोष के आधार पर बनी है जो किसानों की पीड़ा और  समस्याओं के निराकरण को प्रदर्शित भी करती है वो बात अलग है कि 2004 में यू पी ए सरकार ने कमिटी गठित कर इसे लागू नही किया और अब एन डी ए सरकार भी शायद ही लागू करे उसकी अनेको वजह हो सकती है
  पहला की सरकारी खजाने पर असर चूंकि यू पी ए ने भी इसे लागू नही किया और दूसरा हो सकता है वर्ल्ड बैंक का दबाव कही पॉलिसी पेरलाइसी न हो जाये और फिस्कल डेफिसिट का भार और बढ़ जायेगा क्यों की लागू करना तो आसान है पर सरकार रिस्क नही लेना चाहती इस विषय पर कहीं न कही किसानों के लिए स्वामी नाथन आयोग रिपोर्ट भी आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय सा हे जिस से सरकार लागू करने से दूर भागती हे )

 महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलनके बीच एक बार फिर से स्वामीनाथन आयोग की सिफारशों को लागू करने की मांग तेज़ हो गई थी । हम आपको बताते हैं कि आखिर कौन हैं एमएस स्वामीनाथन और क्या हैं वो एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारशें:

7 अगस्त 1925, कुम्भकोणम, तमिलनाडु में जन्मे एमएस स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक हैं। स्वामीनाथन भारत की 'हरित क्रांति' में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका के लिए विख्यात हैं। उन्होंने 1966 में मैक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए थे। 'हरित क्रांति' कार्यक्रम के तहत ज़्यादा उपज देने वाले गेहूं और चावल के बीज ग़रीब किसानों के खेतों में लगाए गए थे।

🔹 *क्यों बना था किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग...*

अन्न की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने, इन दो मकसदों को लेकर 2004 में केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स का गठन किया। इसे आम लोग स्वामीनाथन आयोग कहते हैं। इस आयोग ने अपनी पांच रिपोर्टें सौंपी। अंतिम व पांचवीं रिपोर्ट 4 अक्तूबर, 2006 में सौंपी गयी लेकिन इस रिपोर्ट में जो सिफारिशें हैं उन्हें अभी तक लागू नहीं किया जा सका है।

*क्या हैं आयोग की सिफारिशें और क्या क्या बिंदु थे जिन्हें किसान हित के लिए माना था वक्त की नजाकत को भांपते हुए ..*

🔹 *भूमि सुधार और उसके पुनःउद्धार के लिए ...*

इस रिपोर्ट में भूमि सुधारों की गति को बढ़ाने पर खास जोर दिया गया है। सरप्लस व बेकार जमीन को भूमिहीनों में बांटना, आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने के हक यकीनी बनाना व राष्ट्रीय भूमि उपयोग सलाह सेवा सुधारों के विशेष अंग हैं।

🔹 *किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कदम....*

अयोग की सिफारिशों में किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने व वित्त-बीमा की स्थिति पुख्ता बनाने पर भी विशेष जोर दिया गया है। एमएसपी औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं, यही ध्येय खास है। किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछेक नकदी फसलों तक सीमित न रहें, इस लक्ष्य से ग्रामीण ज्ञान केंद्र व मार्केट दखल स्कीम भी लांच करने की सिफारिश रिपोर्ट में है।

🔹 *सिंचाई व्यवस्था के लिए...*

सभी को पानी की सही मात्रा मिले, इसके लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग व वाटर शेड परियोजनाओं को बढ़ावा देने की बात रिपोर्ट में वर्णित है। इस लक्ष्य से पंचवर्षीय योजनाओं में ज्यादा धन आवंटन की सिफारिश की गई है।

🔹 *फसली बीमा के लिए..*

रिपोर्ट में बैंकिंग व आसान वित्तीय सुविधाओं को आम किसान तक पहुंचाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। सस्ती दरों पर क्रॉप लोन मिले यानि ब्याज़ दर सीधे 4 प्रतिशत कम कर दी जाए। कर्ज उगाही में नरमी यानि जब तक किसान कर्ज़ चुकाने की स्थिति में न आ जाए तब तक उससे कर्ज़ न बसूला जाए। उन्हें प्राकृतिक आपदाओं में बचाने के लिए कृषि राहत फंड बनाया जाए।

🔹 *उत्पादकता बढ़ाने के लिए..*

भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही खेती के लिए ढांचागत विकास संबंधी भी रिपोर्ट में चर्चा है। मिट्टी की जांच व संरक्षण भी एजेंडे में है। इसके लिए मिट्टी के पोषण से जुड़ी कमियों को सुधारा जाए व मिट्टी की टेस्टिंग वाली लैबों का बड़ा नेटवर्क तैयार करना होगा और सड़क के ज़रिए जुड़ने के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने पर जोर दिया जाए।

🔹 *खाद्य सुरक्षा के लिए...*

प्रति व्यक्ति भोजन उपलब्धता बढ़े, इस मकसद से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल सुधारों पर बल दिया गया है। कम्युनिटी फूड व वाटर बैंक बनाने व राष्ट्रीय भोजन गारंटी कानून की संस्तुति भी रिपोर्ट में है। इसके साथ ही वैश्विक सार्वजनिक वितरण प्रणाली बनाई जाए जिसके लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 1% हिस्से की जरूरत होगी। महिला स्वयंसेवी ग्रुप्स की मदद से ‘सामुदायिक खाना और पानी बैंक’ स्थापित करने होंगे, जिनसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को खाना मिल सके। कुपोषण को दूर करने के लिए इसके अंतर्गत प्रयास किए

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