Wednesday 5 July 2017

अगर डॉक्टर ने 25%+ से ज्यादा सिजेरियन डिलेवरी करी तो अब हो सकता है लायसेंस निरस्त!

गर्भवती महिला को डिलीवरी होना एक प्रकतिक क्रिया मानी जाती आई है जहाँ बच्चा और जच्चा नॉर्मल भी होते थे पर अमूमन अब स्वाथ्य से जुड़े विशेषग़ का एक धड़ा सिर्फ प्रकतिक क्रिया को न जोर देते हुए अपने स्वार्थ सिद्ध के लिए ऐसा माहौल बना देता है मरीज के सामने जिस से अब लोगो की मानसिकता में आज के युग में घुल गया कि बच्चे अब सिजेरियन से होते है प्रकतिक प्रसव का जैसे अब जमाना खत्म होते जा रहा है हाल ही में जैसे जैसे बड़े बड़े अस्पताल  बनते जा रहे हे सिजेरियन को महत्ता ज्यादा देते आ रहे हे ताकि कमाई का बड़ा हिस्सा मिल सके हम सब डॉक्टर को दोष नही दे रहे हे कुछ हे इस बिरादरी में जो इस पेशे को सिर्फ आय का स्त्रोत मानते है किसीं के दर्द और कमजोर आर्थिक हालातों को इनसे कोई फर्क नही होता। अब महिला आयोग ने इस और काफी गंभीरता से संज्ञान लिया है )*

 राज्य महिला आयोग डॉक्टरों पर कमान कसने जा रहा है।आयोग ने सरकार के समक्ष रखी अनुशंसा में कहा है कि अब अगर कोई डॉक्टर निजी या सरकारी अस्पताल में 25 फीसदी से ज्यादा सीजेरियन डिलिवरी कराता है, तो उसे ब्लैक लिस्टेट किया जाए। उसका लाइसेंस निलंबित किया जाए और उसे अयोग्य मानकर पांच वर्ष तक प्रसव के काम से दूर रखा जाए ।
इसके साथ ही उस पर पांच लाख का जुर्माना लगाने की बात भी कहीं गई है। यह निर्णय आयोग ने पांच वर्षों में की गई नार्मल और सीजेरियन डिलीवरी के आंकड़े देखने के बाद यह सिफारिश की है। आयोग की अध्यक्ष लता वानखेड़े ने पद संभालने के बाद आयोग में छह सलाहकार समितियां बनाईं। इन्हीं में से समिति जो इस विषय पर काम कर रही थी, उसने अपना अध्ययन आयोग को दिया, जिसके बाद उसे शासन को भेजा गया। अभी शासन इस लेटर का परीक्षण कर रहा है, पर कायस लगाये जा सकते हे की मेडिकल लाबी इसे दबाव बनाके लागू न भी होने दे क्यों की प्रदेश में डॉक्टर पेशे वालो की संख्या कम भी हे और जिसमे ग्रामीण क्षेत्र में जाने से कतराते हे इसलिये सरकार बहुत सोच समझ के निर्णय लेगी पर अगर निणर्य न भी ले तो कम से कम जो डॉक्टर पेशे को एक दुकान मान के मज़बूरी का फायदा उठा कर इस पेशे को तार तार करते हे उनके पीछे सब जो अच्छे डॉक्टर हे जो इस पेशे को अपना तन मन धन से सिमित आय में चला रहे हे ईमानदारी से उन्हें धक्का लगता है और मन भी आहत होता है ।

🔹 *5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है ..*

आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि अधिकतर डॉक्टर महिलाओं को डरा कर यह कहते है, बच्चे के गले में नाल दूसरे या तीसरे राउंड में कसी है, बच्चा पेट में उल्टा है, मां के पेट का पानी सूख गया है या नवजात ओवरवेट है।इसलिए नार्मल डिलिवरी नहीं हो सकती, आपको सीजेरियन ही कराना होगा। इससे अभिभावक डर जाते हैं, और सीजेरियन कराने को तैयार हो जाते है, जबकि बरसों से ऐसे ही प्रसव हो रहे हैं।इसके साथ ही प्रबुद्धजनों का मानना है कि डिलीवरी एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन डॉक्टरों ने इसे नियंत्रित कर दिया है। पहले जन्म की बधाई दी जाती थी। अब संशय से पूछा जाता है कि डिलीवरी सीजेरियन है या नाॅर्मल। यह बदलाव 40 वर्षों में आया है।
सिफारिशों में यह बाते रही प्रमुख
5 लाख तक का जुर्माना हो

🔹15% सीजेरियन स्वीकार्य, लेकिन इससे अधिक नहीं।

🔹15 से ज्यादा और 20 से कम सीजेरियन है तो चेतावनी।

-20 से अधिक 25% से कम है तो 5 लाख रुपए तक दंड।

🔹सीजेरियन डिलीवरी के आंकड़े अस्पतालों में प्रदर्शित करने होंगे, ताकि गर्भवती महिला जान सके कि वह किस चिकित्सक के हवाले है।

🔹 गर्भवती इससे यह चुन सकेगी कि किस डॉक्टर से वह इलाज कराए।

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