Sunday 2 July 2017

अब अपनी जमीन पर डायवर्जन के लिये चप्पलें नही घिसना पड़ेगा 6 महिंने में मिल ही जॉएगी स्वतः अनुमति!

( प्रदेश में अब कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जमीन का उपयोग बदलने (डायवर्सन) की फाइल को दबाकर नहीं बैठ पाएगा इसका एक फायदा तो आम जन को अब किसी अधिकारी को पैसा नही खिलाना पड़ेगा साथ ही लोकायुक्त जैसी शिकायत पर भी अंकुश लग सकता है जहा आये दिन डायवर्सन के नाम पर रिश्वत लेने की बाते अक्सर सामने आती थी फाइल दबी रहती थी वरना पर अब जल्द डीम्ड अनुमति मिल जायेगी ऐसा संशोधन भू राजस्व सहिंता में किया जा सकता है )*

 प्रदेश में अब कोई भी अधिकारी या कर्मचारी जमीन का उपयोग बदलने (डायवर्सन) की फाइल को दबाकर नहीं बैठ पाएगा। यदि किसी भी स्तर पर ऐसा हुआ तो इसका नुकसान आम आदमी को नहीं उठाना पड़ेगा। छह महीने में प्रकरण पर निर्णय नहीं होने की सूरत में ये मान लिया जाएगा कि डायवर्सन से कोई आपत्ति नहीं है और डीम्ड अनुमति मान ली जाएगी।इसका असर ये होगा कि आम आदमी को डायवर्सन के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा। इसके लिए सरकार भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव करने जा रही है। इसके लिए राजस्व विभाग विधानसभा के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक लाएगा। सूत्रों के मुताबिक भोपाल सहित प्रदेश के कई जिलों में जमीन का उपयोग बदलवाने के हजारों प्रकरण लंबित हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जानकारी में जब यह बात लाई गई तो उन्होंने ऐसा नियम निर्देश दिए जिससे आम आदमी को दफ्तरों के चक्कर न लगाना पड़ें। इसी के तहत राजस्व विभाग ने भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव का फैसला किया है। अब यदि छह महीने के भीतर डायवर्जन के मामलों में निर्णय नहीं होता है तो इसे डीम्ड (माना हुआ) अनुमति मान ली जाएगी। यदि बाद में जमीन संबंधी किसी प्रकार का विवाद होता है तो संबंधित सक्षम अधिकारी को ही दोषी मानकर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही यह व्यवस्था भी की जा रही है कि लोगों को नगर तथा ग्राम निवेश या नगरीय निकायों की अनावश्यक अनुमतियां न लेनी पड़े। लेकिन सरकार कुछ ऐसी जगह भी चिन्हित करने जा रही है जहां जमीन का उपयोग परिवर्तन (डायवर्सन) कराने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगा। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरुण पांडे ने बताया कि जमीन के उपयोग परिवर्तन के नियमों को सरल बनाया जाएगा। इसके लिए भू-राजस्व संहिता की धारा 172 में बदलाव करेंगे@sourses.navduiya

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