आज आने वाले तीन तलाक पर फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बाल अब सरकार के पाले में डाल दी है संसद में कानून बनाकर उसकी खामियों को दूर किया जाए इस कानून को बनाने के लिए 6 महीने का वक्त दिया है। वही 5 जजों की संवैधानिक पीठ में से 3 ने इसे असंवैधानिक बताया है बहुमत के आधर पर तो ट्रिपल तलाक को सही नही माना है पर संसद में कानून बनाये *वही 6 महीने तक अब तीन तलाक वैध नही रहेगा*!
🔹 *क्या हुआ अबतक ट्रिपल तलाक मुद्दे पर पहले को सुनवाई में ...*
*केंद्र नहीं है तीन तलाक के पक्ष में..*
आपको बता दें कि 5 जजों की बेंच इस मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट में यह सुनवाई 6 दिनों तक चली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में साफ किया था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को 'दुखदायी' प्रथा करार देते हुए न्यायालय से अनुरोध किया था कि वह इस मामले में 'मौलिक अधिकारों के अभिभावक के रूप में कदम उठाए।'
🔹 *ये थी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील..*
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि तीन तलाक का पिछले 1400 साल से जारी है। अगर राम का अयोध्या में जन्म होना, आस्था का विषय हो सकता है तो तीन तलाक का मुद्दा क्यों नहीं।
🔹 *कोर्ट ने किया ये सवाल..*
कोर्ट ने सवाल किया कि क्या जो धर्म के मुताबिक ही घिनौना है वो कानून के तहत वैध ठहराया जा सकता है? जो ईश्वर की नजर में पाप है, क्या उसे शरियत में लिया जा सकता है। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि कैसे कोई पापी प्रथा आस्था का विषय हो सकती है, पवित्र कुरान में पहले से ही तलाक की प्रक्रिया बताई गई है तो फिर तीन तलाक की क्या जरूरत?
आपको बता दें कि 11 मई से सुप्रीम कोर्ट में शुरू हुई तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई 18 मई को खत्म हुई थी और कोर्ट ने अपने आदेश को सुरक्षित रखा लिया था। कोर्ट ये तय करेगा कि तीन तलाक महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है या नहीं, यह कानूनी वैध है या नहीं और तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा है या नहीं?
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