लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रुस्तम सिंह ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि यदि छात्र-छात्राओं को बुखार, खाँसी, गले में खराश, सांस लेने में तकलीफ के लक्षण हों, तो कृपया उन्हें स्कूल-कॉलेज न भेजें। तत्काल चिकित्सक की सलाह अनुसार उपचार दिलायें और घर में आराम करवायें। इससे विद्यार्थी की तबियत जल्दी सुधरेगी और संक्रमण का फैलाव भी बचेगा।
🔹 *क्या है एच-1 एन-1 संक्रमण : क्या करें, क्या न करें*
सर्दी-खाँसी आने पर रूमाल या टिशु पेपर का उपयोग करें। टिशु पेपर उपयोग के बाद डस्टबिन में ही डालें। खाँसने वाले से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाये रखें। पीड़ित व्यक्ति इस बात का ध्यान रखें कि खाना खाते समय ही मुँह में हाथ लगायें और किसी से हाथ न मिलायें। नाक, मुँह या आँखों का स्पर्श करने पर साबुन से हाथ धोएँ, यथा-संभव भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।
नमक के गुनगुने पानी या लिस्ट्रिन से गरारे करें। गर्म तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें। संतुलित एवं पौष्टिक भोजन करें। विटामिन-सी जैसे नींबू, आँवला, संतरा आदि का अधिक से अधिक सेवन करें। दिन में कम से कम एक बार जल-नेति/सूत्र-नेति से नाक साफ करें। यह संभव न हो तो नाक को जोर से छींकते हुए रुई के फोहे को नमक के गर्म पानी में भिगोकर नासिका द्वारों को साफ करें। यदि विटामिन-सी की टेबलेट लेते हैं तो ध्यान रखें, उसमें जिंक शामिल हो। जिंक वाली विटामिन-सी की टेबलेट का सेवन करने से शरीर द्वारा विटामिन-सी का अवशोषण किया जा सकेगा।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज भी प्रदेश में एच-1 एन-1 संक्रमण, मलेरिया, डेंगू एवं चिकनगुनिया की प्रभावी रोकथाम के लिये समीक्षा की गयी। समीक्षा के बाद संबंधित जिलों को दिशा-निर्देश जारी किये गये। प्रदेश में एक जुलाई से 15 अगस्त तक स्वाइन फ्लू के 186 संदिग्ध मरीजों के सेम्पल परीक्षण के लिये भेजे गये। इनमें से 167 की रिपोर्ट आ चुकी है। प्रदेश में 33 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है और 19 रिपोर्ट आना बाकी हैं। इस वर्ष अब तक 5 लोगों की स्वाइन फ्लू से मृत्यु हो चुकी है।
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