साल के बैशाख महीने में भुआणा अंचल में गणगौर उत्सव की धूम सी हे इसी कड़ी में हरदा में इस बार हरदा विधायक आर के दोगने ने निज निवास पर गणगौर बैठाई हे। पत्रकार मदन गौर ने बताया कि 10 अप्रैल से जिसमे प्रति दिन जिले के अंचलो से गणगौर माता के दर्शन हेतु 4 से 5 हजार लोग रोजाना आ रहे हे तो कभी तो ये संख्या 6 हजार ( अनुमानित ) तक भी पहुच जाती है जहाँ क्षेत्रफल भी कम पड़ जाता है स्थल का जन मानस के उमड़ने पर और लोगो का आना जाना बने रहता है। जो पंडाल को खासा आकर्षक सजावट के साथ कई ख्याति नामी गणगौर मंडल अपनी प्रस्तुति दे रहे हे जहा उन्हें सराहा जा रहा है वही प्रतिदिन हजारो लोगो का प्रसादी का आयोजन सतत चल है हे वही अंतिम 17 अप्रैल के दिन कई नामचीन मंडलो की विशेष प्रस्तुति रहेगी जहा गणगौर के पाती ,स्वांग,झालरे और भजनों के आस्था का आनंद लेने रोजाना पधार रहे हे । वही 18 तारीख को गणगौर महोउत्सव का समापन रहेगा जिसमे शोभा कलश यात्रा के साथ शहर से निकलेगा और 10 बजे से 1 बजे तक गणगौर महोउत्सव का प्रसादी रहेगी जिसमे हजारो लोग शिरकत करेंगे।
🔹 *चैत की बहार ,गोरा के दिन चार आओ मेरी मैया, तुम्हारा इंतजार ...*
चैत की बहार है, गौरा के दिन चार हैं, आओ मेरी मइया, तुम्हारा इंतजार है। जैसे लोकगीतों के साथ शहर में गणगौर पर्व का उत्साह चरम पर पहुंच गया है। पर्व का 17 अप्रैल बुधवार को समापन होगा। मालूम हो कि निमाड़ और उससे सटे भुआणा अंचल में गौरी की वन्दना के अनुष्ठानिक पर्व गणगौर का विशेष महत्त्व है। टेसू जब अलसाने लगता है और चैत्र-बैसाख की गर्म हवा जब फलों के राजा आम की पीठ पर बैठकर मस्ती में झूलती कैरियों के गालों को सहलाने लगती है, तब इस अंचल में गणगौर पर्व मनाया जाता है। हिन्दुओं की मातृत्व भावना से ओतप्रोत एवं ग्रामीण संस्कृति को उकेरता गणगौर पर्व चैत्र और बैसाख माह में पूर्ण श्रृद्घा के साथ मनाया जाता है। और तब घर घर और गली गली गूंजने लगते है पारम्परिक लोकगीत- घोड़ा चढ़ी न धनियार जी आया, रणुबाई करअ सिंगार वो चंदा... बहन बेटियों का यह त्यौहार सौभाग्य आरोग्य की शुभकामना के लिए मनाया जाता है।
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