Thursday 3 May 2018

सुखी जीवन के लिए संस्कार बहुत आवश्यक है - श्रीकृष्ण प्रिये

कथा वाचक बाल विदुशी राधा स्वरूप जया किशोरी जी के भागवत कथा के तीसरे दिवस पर गंगयाखेड़ी में जारी भागवत कथा में आज व्रतांत सुनाया उन्होंने कथा के दौरान बताया कि हमारे प्राचीन ऋषि मुनियों ने जो परपंराये निर्धारित की वे सब वैज्ञानिक आधारो पर स्थापित है, हमें उन संस्कारों का पालन आवश्यक है, हमारे संस्कार पूर्व जन्म पर आधारित होते हैं ,उन्ही के अनुसार ही हमारा कर्म निर्धारित होता है उक्त विचार श्रीधाम वृन्दावन से पधारी बाल विदुषी श्रीकृष्णप्रिया जी महाराज ने कथा के तृतीय दिवस पर व्यक्त किए । उनहोने बताया मनुष्य को कर्म करना अनिवार्य है ईश्वर की कृपा से आप को मार्ग मिल सकता है किन्तु उस मार्ग पर आपको ही चलना पड़ेगा, इसलिए भगवान ने श्रीमद्भगवद्गीता में कर्म को सबसे उपर बताया । उन्होंने कर्दम ऋषि एवं देवभूति की कथा के माध्यम से बताया कि गृहस्थ जीवन में एक दूसरे का सम्मान बहुत आवश्यक है,तभी जीवन में प्रेम का उदगम होता है । पांडवो की कथा के  माध्यम से उन्होंने कहा कि पांडवो ने सदा अपने धर्म को कभी नहीं छोड़ा एवं सदा विवेक से कार्य किया तभी भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध में उनका साथ दिया। सतगुरु के ज्ञान द्वारा इस जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है, गुरु ऐसा होना चाहिए जो शिष्य के अज्ञान का हरण कर कर लेता है,  इस कथा में आसपास के ग्रामो से पधारे हजारों श्रृद्धालुओ कथा का श्रृवण किया।

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