Friday 18 May 2018

जान लीजिये क्या नियम है? जो आपको भी नही पता होंगे अबतक बहुमत साबित करने के जानिए कैसे बनती है सरकार !

जब से कर्नाटक में चुनाव हुए और जादुई आंकड़े पाने में सिंगल पार्टी नाकाम हुए हे तब से आम जन की निगाहें इस बात पर टिकी है आखिर सदन में कैसे साबित किया जाता होगा बहुमत जो संवैधानिक रूप से नियमावली के अधीन है अभी तक हम सबको ये ज्ञात रहतं था कि सरकार बनाने के लिए दो तिहाई बहुमत होना पर कुछ लचीले नियम भी हे जिस से सरकार बन सकती है ।

*ऐसे होता है शक्ति परीक्षण..*

सदन में शक्ति परीक्षण के लिए सरकार की ओर से विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है। इस पर पक्ष और विपक्ष के सदस्य चर्चा करते हैं। चर्चा करने के बाद यदि विपक्ष को सरकार के पास बहुमत होने का भरोसा नहीं होता प्रस्‍ताव पर विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों से मतदान कराते हैं। यह मतदान हाथ उठाकर या गुप्त मत के तौर पर होता है।

नही होगा गुप्त मतदान- हालांकि कर्नाटक विधानसभा ने आज होने वाले शक्ति परीक्षण में गुप्त मतदान नही होगा, इस पर पहले ही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है।

*बहुमत का फार्मूला– सदन में कुल सदस्यों की संख्या का दो से भाग करने पर जो संख्या आए उसमें एक जोड़ दिया जाए।*

🔹 *इसलिए हो रहा शक्ति परीक्षण..*

- चूंकि 222 सीटों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या संगठन के पास विधायकों की न्यूनतम संख्या 112 होना जरूरी है। भारतीय जनता पार्टी के पास 104 सीटे हैं। ऐसे में कांग्रेस – जेडीएस के गठबंधन ने अपने पास 116 विधायक होने का दावा किया है जो कि बहुमत के आंकड़े से ज्यादा हैं। ऐसे में सुप्रीमकोर्ट ने कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन की याचिका पर येदियुरप्पा सरकार को बहुमत साबित करने को आदेश दिया।

🔹 *ऐसे साबित हो सकता है बहुमत..*

येदियुरप्पा यदि जेडीएस के एक तिहाई विधायक (13 विधायकों) को अपने पक्ष में शामिल कर लेते हैं उनके पास कुल संख्या 117 हो जाएगी। ऐसे में सदन में उनका बहुमत साबित हो जाएगा और उनकी सरकार बनी रहेगी। लेकिन यदि येदियुरप्पा सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाते तो उनकी सरकार गिर जाएगी।येदियुरप्पा की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन सरकार बनाने का दावा कर सकता है और जिसे राज्यपाल सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं। गठबंधन की की सरकार बनने के बाद राज्यपाल की ओर से बहुमत साबित करने का समय दिया जाएगा। इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस को सदन में अपनी सरकार का बहुमत साबित करना होगा।

🔹 *भाजपा और येदियुरप्पा के पास क्या क्या है विकल्प..*

🔹पहला विकल्प

बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि वह कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को इस बात के लिए राजी करे कि वे अनुपस्थित रहें या उसके पक्ष में वोट करें। सभी पार्टी शक्ति परीक्षण के दौरान अपने विधायकों को व्हीप जारी करती है। इसका उल्लंघन करने पर विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकते हैं। बीजेपी को बहुमत के आंकड़े में लाने के लिए विधायकों को इस्तीफा देने के लिए भी तैयार किया जा सकता है। हालांकि इसके विपक्षी पार्टियों के 15 विधायकों की जरूरत होगी। वर्तमान में सदन का आंकड़ा 222 है, अगर 15 विधायक वोटिंग के दौरान गैरहाजिर रहते हैं तो सदन की संख्या 208 रह जाएगी और बीजेपी बहुमत हासिल कर लेगी।

🔹 दूसरा विकल्प

बेंगलुरु और दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि 2008 में बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ एक बार फिर दोहराया जा सकता है। ऐसे में पार्टी जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों से इस्तीफा दिलवा सकती है और उपचुनाव के जरिए उन्हें अपने चुनाव निशान पर सदन में ला सकती है। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार जेडीएस और कांग्रेस के कुछ लिंगायत विधायक बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं। कांग्रेस के टिकट पर 21 और JDS के टिकट पर 10 लिंगायत विधायक जीतकर आए हैं। बीजेपी के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा खुद लिंगायत समुदाय से आते हैं। हालांकि इसके लिए काफी कम समय है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार फ्लोर टेस्ट कल शाम को ही होना है।

🔹 तीसरा विकल्प

कांग्रेस और जेडीएस के दो-तिहाई विधायकों को तोड़कर बीजेपी दल-बदल कानून से बच सकती है। हालांकि इस बात की संभावना बेहद कम है। कांग्रेस के 78 विधायक चुनकर आए है, पार्टी को तोड़ने के लिए कम से कम 52 विधायकों की आवश्यकता है। वहीं जेडीएस के 38 विधायक जीतकर आए हैं, इस पार्टी को तोड़ने के लिए 26 विधायकों की जरूरत होगी।

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