Wednesday 4 July 2018

मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक किसान पर, सोयाबीज मुंग समेत कई फसलों के समर्थन मूल्य बढ़ाया !

*( सोयाबीन 3050 की जगह अब 3399 ₹ हुई वही मुंग 1550 की जगह अब 1750 ₹ हुआ )*

खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में आज मोदी सरकार ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी कर दी है. आज हुई कैबिनेट की बैठक में 2018 -19 के लिए धान समेत अन्य ख़रीफ़ फ़सलों के समर्थन मूल्य पर मुहर लग गई. इस साल के बजट में मोदी सरकार ने सभी फ़सलों के समर्थन मूल्य को उसकी लागत से डेढ़ गुना करने का एलान किया था. समर्थन मूल्य बढ़ाने से सरकार के ख़ज़ाने पर 12,000 करोड़ रूपए का ख़र्च पड़ेगा. .

🔹 *14 खरीफ फसलों के मूल्य के केंद्रीय।सरकार ने की खासी बढ़ोतरी ..*

धान- मौजूदा दाम 1550 रुपए, और अब 1750 रुपए.

धान ग्रेड ए- मौजूदा दाम 1590 रुपए, और अब 1770 रुपए.

ज्वार (हाइब्रिड)- मौजूदा दाम 1700 रुपए,और अब 2430 रुपए.

ज्वार (मालंदी)- मौजूदा दाम 1725 रुपए,और अब 2450 रुपए.

बाजरा- मौजूदा दाम 1425 रुपए,और अब 1950 रुपए.

खमीर- मौजूदा दाम 1900 रुपए, और अब 2897 रुपए.

मक्का- मौजूदा दाम 1425 रुपए, और अब 1700 रुपए.

अरहर- मौजूदा दाम 5450 रुपए और अब 5675 रुपए.

मूंग- मौजूदा दाम 5575 रुपए, और अब 6975 रुपए.

उड़द- मौजूदा दाम 5400 रुपए, और अब 5600 रुपए.

मूंगफली- मौजूदा दाम 4450 रुपए और अब 4890 रुपए.

सूरजमुखी- मौजूदा दाम 4100 रुपए, और अब 5388 रुपए.

सोयाबीन- मौजूदा दाम 3050 रुपए, और अब 3399 रुपए.

सीसम- मौजूदा दाम 5300 रुपए,और अब 6249 रुपए.

नाइजर बीज- मौजूदा दाम 4050 रुपए और अब 5877 रुपए.

कपास (मध्यम)- मौजूदा दाम 4020 रुपए और अब  5150 रुपए.

कपास (लंबी)- मौजूदा दाम 4320 रुपए, और अब 5450 रुपए.

🔹 *कुछ ये फॉर्मूले से कृषि लागत और मूल्य आयोग तय करती है दाम...*

मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक़ सरकार की संस्था कृषि लागत एवं मूल्य आयोग हर साल ख़रीफ़ और रबी फ़सलों का लागत मूल्य तय कर उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रस्ताव सरकार को भेजती है. लागत मूल्य तय करने के लिए आयोग अलग अलग फॉर्मूले की मदद लेता है. इस साल A2 + FL के फॉर्मूले से लागत मूल्य तय किया गया है.
इस फॉर्मूले के तहत बीज़, फ़र्टिलाइजर, किटनाशक , खेतों में लगने वाले लेबर और हर तरह की मशीन ( अपना या किराए का ) पर होने वाले ख़र्चे को लागत मूल्य तय करने में शामिल किया जाता है. हालांकि लागत मूल्य तय करने को लेकर एक राय नहीं रही है. कई किसान संगठन लागत मूल्य तय करने के लिए ज़मीन के दाम या रेंट को भी शामिल करने की मांग करते रहे हैं जबकि सरकार इसे व्यावहारिक नहीं मानती है. इस मामले में अहम भूमिका निभाले वाली नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा - '' देश के अलग अलग इलाक़ों में ज़मीन की क़ीमत और रेंट अलग अलग है तो फिर ये कैसे संभव हो सकता है ".

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